17 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Nipah Virus: मलेशिया से आया था निपाह वायरस, पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में मिला था पहला केस

निपाह वायरस का पहला केस भारत में 2001 में सामने आया था।उस समय पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में निपाह के 66 मामले सामने आए थे।

2 min read
Google source verification
Nipah Virus

मलेशिया से आया था निपाह वायरस, पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में मिला था पहला केस

नई दिल्ली।निपाह वायरस (एनआईपी) से गुरुवार की सुबह एक और मरीज की मौत के बाद केरल में इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 12 हो गई है। एक निजी अस्पताल ने मूसा नाम के मरीज की मौत की पुष्टि की। इस अस्पताल में मूसा का इलाज चल रहा था। इस महीने की शुरुआत में उनके दो बेटों और एक रिश्तेदार का भी निधन हो गया था। दरअसल, निपाह वायरस का पहला केस भारत में 2001 में सामने आया था।उस समय पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में निपाह के 66 मामले सामने आए थे, जिसमें से 45 लोगों की मौत हो गई थी। यहां सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि निपाह के 68 प्रतिशत केसों में मरीजों की मौत हुई थी।

क्या है निपाह वायरस

निपाह वायरस (NiV) तेजी से उभरता हुआ वायरस है। इसकी वजह से इंसानों और जानवरों में गंभीर बीमारी हो जाती है।1998 में सबसे पहले मलेशिया के कंपंग सुंगाई निपाह से इसकी जानकारी मिली। इसी के चलते वायरस को निपाह नाम भी मिला। लेकिन 2004 में बांग्लादेश में फ्रूट बैट (फल खाने वाले चमगादड़) के जरिये यह वायरस फैल गया। भारत के अस्पतालों में यह एक इंसान से दूसरे इंसान तक भी पहुंच गया। अभी तक इस वायरस से बचाव के लिए कोई दवा-इंजेक्शन नहीं बना है। यह वायरस दिमाग को नुकसान पहुंचाता है और इसका संक्रमण इंसेफलाइटिस से जुड़ा है।

गर्मी का तांडव! दिल्ली व आसपास के इलाकों में धूलभरी आंधी का रेड अलर्ट

भाजपा सासंद सुब्रमण्यम स्वामी ने साधा मोदी सरकार पर निशाना, कहा- ईमानदार अफसरों का हो रहा उत्पीड़न

भारत में कब फैला इसका आतंक—
जनवरी-फरवरी 2001, सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल)
मामले— 66
मौत— 45
68 फीसदी मामले मौत में तब्दील।

अप्रैल 2007, नाडिया (पश्चिम बंगाल)
मामले— 5
मौत— 5
मौत की दरः 100

कैसे फैलता है यह वायरस

प्राकृतिक संवाहक
फ्रूट बैट

इंसानों में NiV से पीड़ित होने की वजह संक्रमित पिग्स और चमगादड़ के सीधे संपर्क में आना होता है।
संक्रमित चमगादड़ और पक्षियों द्वारा खाए गए फलों को खाने से।अन्य NiV संक्रमित अन्य व्यक्तियों के संपर्क में आने से।


ऐसे करें बचाव:
हार्ट केयर फाउंडनेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल के अनुसार -

— इसके इलाज का एकमात्र तरीका कुछ सहायक दवाइयां और पैलिएटिव केयर है।
— वायरस की इनक्यूबेशन अवधि 5 से 14 दिनों तक होती है, जिसके बाद इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
— सामान्य लक्षणों में बुखार, सिर दर्द, बेहोशी और मतली शामिल होती है। कुछ मामलों में, व्यक्ति को गले में कुछ फंसने का अनुभव, पेट दर्द, उल्टी, थकान और निगाह का धुंधलापन महसूस हो सकता है।
— लक्षण शुरू होने के दो दिन बाद पीड़ित के कोमा में जाने की संभावना बढ़ जाती है।
— इंसेफेलाइटिस के संक्रमण की भी संभावना रहती है, जो मस्तिष्क को प्रभावित करता है।
— सुनिश्चित करें कि आप जो खाना खा रहे हैं वह किसी चमगादड़ या उसके मल से दूषित नहीं हुआ हो।
— चमगादड़ के कुतरे हुए फल न खाए। पाम के पेड़ के पास खुले कंटेनर में बनी टोडी शराब पीने से बचें।
— बीमारी से पीड़ित किसी भी व्यक्ति से संपर्क न करें। यदि मिलना ही पड़े तो बाद में साबुन से अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें।